Sorry to start the Sunday on this note but this song came to me this morning after reading my email and I had to post it:
Here are the lyrics in Hindi (Taken from http://geetmanjusha.com/)
ये महलों, ये तख्तो, ये ताजों की दुनियाँ ये इंसान के दुश्मन समाजों की दुनियाँ ये दौलत के भूखे रवाजों की दुनियाँ ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए तो क्या है हर एक जिस्म घायल, हर एक रूह प्यासी निगाहों में उलझन, दिलों में उदासी ये दुनियाँ हैं या आलम-ए-बदहवासी ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए तो क्या है जहा एक खिलौना है, इंसान की हस्ती ये बसती हैं मुर्दा परस्तों की बस्ती यहाँ पर तो जीवन से मौत सस्ती ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए तो क्या है जवानी भटकती हैं बदकार बनकर जवां जिस्म सजते हैं बाजार बनकर यहाँ प्यार होता हैं व्यापार बनकर ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए तो क्या है ये दुनियाँ जहा आदमी कुछ नहीं है वफ़ा कुछ नहीं, दोस्ती कुछ नहीं है यहाँ प्यार की कद्र ही कुछ नहीं है ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए तो क्या है जला दो इसे, फूंक डालो ये दुनियाँ मेरे सामने से हटा लो ये दुनियाँ तुम्हारी हैं तुम ही संभालो ये दुनियाँ ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए तो क्या है
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For what shall it profit a man, if he shall gain the whole world, and lose his own soul?
- Mark 8:36